भारत के गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) समारोह में हर साल एक मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया जाता है. यह परंपरा 1950 में शुरू हुई थी और अब तक यह जारी है. गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि का चयन भारत की विदेश नीति, द्विपक्षीय रिश्तों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिहाज से काफी अहम माना जाता है. इससे भारत की विदेश नीति की दिशा और क्षेत्रीय- वैश्विक संबंधों का संकेत मिलता है. गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में जिन देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है, उनमें पाकिस्तान, अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और कई अन्य प्रमुख देश शामिल हैं. आज हम जानेंगे किस देश को गणतंत्र दिवस पर सबसे ज्यादा मौका मिला है. मुख्य अतिथि को बुलाने की योजना कैसे बनाई जाती है और इस परंपरा का अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है. भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा ही जटिल रहे हैं. लेकिन तनाव और संघर्ष के बावजूद गणतंत्र दिवस समारोह में पाकिस्तान के नेताओं को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया है. पाकिस्तान को 1955 और 1965 में भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनाया गया था. 1955 में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद को गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि बनाया गया था. वहीं, साल 1965 में पाकिस्तान के कृषि मंत्री राना अब्दुल हामिद भारत के मुख्य अतिथि के रूप में गणतंत्र दिवस मे शामिल हुए थे.
आज तक वैब-चैनल