स्पूफिंग: अर्थ, इतिहास, वैश्विक परिप्रेक्ष्य और भारत में स्थिति
1. स्पूफिंग क्या है?
स्पूफिंग (Spoofing) का अर्थ है—किसी व्यक्ति या संस्था की पहचान, सूचना या डिजिटल स्रोत की नक़ल कर किसी को धोखा देने की क्रिया।
यह साइबर अपराध का एक उन्नत रूप है जिसमें हमलावर:
नकली कॉल (Caller ID Spoofing)
नकली ईमेल (Email Spoofing)
नकली वेबसाइट / URL (Website Spoofing/Phishing)
IP Address Spoofing
GPS/Location Spoofing
Social Media Identity Spoofing
आदि का उपयोग करके लोगों को भ्रमित करते हैं और संवेदनशील जानकारी, OTP, बैंक डिटेल, पहचान संबंधी डेटा या धन हड़प लेते हैं।
2. स्पूफिंग का इतिहास
स्पूफिंग की शुरुआत इंटरनेट युग के शुरुआती समय में हुई:
(1) 1970–1990: शुरुआती तकनीकी प्रयोग
ARPANET और शुरुआती इंटरनेट के समय, हैकर्स IP Spoofing करके नेटवर्क में प्रवेश करने के तरीकों का प्रयोग करते थे।
यह अधिकतर तकनीकी मज़ाक या सिस्टम टेस्टिंग था।
(2) 1990–2000: ईमेल स्पूफिंग का फैलाव
ईमेल सिस्टम में Sender Verification नहीं था, इसलिए हैकर्स आसानी से दूसरे नाम से ईमेल भेज सकते थे।
पहला बड़ा स्पूफिंग आधारित हमला—ILOVEYOU वायरस (2000)—ईमेल स्पूफिंग का उपयोग करके करोड़ों कंप्यूटर संक्रमित हुए।
(3) 2000–2010: फ़िशिंग और वेबसाइट स्पूफिंग का दौर
वित्तीय संस्थानों की नकली वेबसाइटें बनाकर लोगों से बैंकिंग जानकारी चुराई जाने लगी।
ऑनलाइन बैंकिंग बढ़ने के साथ स्पूफिंग विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती साइबर धोखाधड़ी बनी।
(4) 2010–अब तक: मल्टी-लेयर और AI आधारित स्पूफिंग
Caller ID Spoofing, VoIP और AI Voice Spoofing (किसी की आवाज़ की नकल) तेज़ी से बढ़ी।
Deepfake तकनीक आने के बाद वीडियो स्पूफिंग/Face Spoofing भी उभर आया।
3. विश्व में स्पूफिंग की स्थिति
(1) वैश्विक साइबर सुरक्षा खतरा
विश्वभर में लगभग सभी बड़े देशों—अमेरिका, यूरोप, चीन, जापान—में स्पूफिंग गंभीर अपराध माना जाता है।
US FCC, Europol आदि संस्थाओं ने Caller ID Spoofing और Email Spoofing पर सख्त नियम बनाए हैं।
(2) टेलीकॉम स्पूफिंग (IRS Scam, VoIP Scam)
विदेशी कॉल नंबर को भारतीय या किसी भी स्थानीय नंबर की तरह दिखाना,
बैंक, FBI, IRS जैसी एजेंसियों के नाम पर फर्जी कॉल करना
विश्व के कई हिस्सों में आम अपराध हैं।
(3) Deepfake Spoofing
व्यापारिक कंपनियों के CEOs की नकली आवाज़ का उपयोग करके धोखाधड़ी
राजनीतिक नेताओं के नकली वीडियो
ऑनलाइन पहचान चोरी
इनसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खतरा बढ़ा है।
4. भारत में स्पूफिंग: एक विश्लेषण
भारत विश्व के सबसे बड़े डिजिटल उपभोक्ता देशों में है—यही कारण है कि यहाँ स्पूफिंग तेजी से बढ़ी है।
(1) भारत में स्पूफिंग के प्रमुख रूप
1. मोबाइल/कॉल स्पूफिंग
कॉलर आईडी में बैंक, पुलिस, बिजली विभाग या सरकारी विभाग का नंबर दिखाना।
“आपके खाते में KYC अपडेट नहीं है”, “आपका ATM ब्लॉक हो गया” जैसे संदेश।
2. ईमेल स्पूफिंग
सरकारी ईमेल ID जैसा दिखने वाला ईमेल:
जैसे support@sbii.com
(i extra करके धोखा)आयकर विभाग, PF विभाग के नाम पर नकली नोटिस।
3. वेबसाइट और URL स्पूफिंग
.in की जगह .org.in या .co.in का प्रयोग
Paytm, SBI, IRCTC की नकली साइटें
4. सोशल मीडिया स्पूफिंग
किसी मंत्री, IAS अधिकारी या प्रसिद्ध व्यक्ति के नाम से फर्जी अकाउंट बनाकर धन/डेटा मांगना।
5. OTT/Delivery ऑर्डर स्पूफिंग
Zomato, Swiggy, Amazon Delivery Boy बनकर लिंक भेजना।
(2) भारत में स्पूफिंग क्यों बढ़ी?
मोबाइल इंटरनेट का विशाल उपयोग
डिजिटल भुगतान की तेजी
भारत में VoIP प्रतिबंध कमजोर
तकनीकी जागरूकता कम
कई विदेशी सर्वरों का दुरुपयोग
(3) भारत में सरकार द्वारा उठाए गए कदम
DoT की Digital Intelligence Unit (DIU)
— साइबर धोखाधड़ी करने वालों का पता लगाने के लिए।TAFCOP पोर्टल
— अपने नाम पर जारी मोबाइल नंबरों की जानकारी।KYC आधारित SIM प्रणाली
— नकली नाम पर SIM रोकने के लिए।C-DOT का “Call Spoofing Detection System”
— Caller ID Spoofing पहचानने के लिए परीक्षणाधीन सिस्टम।Cyber Crime Portal (1930 हेल्पलाइन)
— तत्काल शिकायत व धन रोकथाम के लिए।
5. स्पूफिंग के दुष्परिणाम
व्यक्तियों की आर्थिक हानि
पहचान चोरी
सरकारी संस्थाओं में अविश्वास
डिजिटल पारिस्थितिकी की सुरक्षा पर असर
साइबर-आतंकवाद/जासूसी के खतरे
6. निष्कर्ष
स्पूफिंग केवल तकनीकी अपराध नहीं बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा गंभीर विषय है।
विश्व में स्पूफिंग के विकसित तरीकों के साथ भारत भी इसका प्रमुख लक्ष्य बन रहा है।
सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन डिजिटल साक्षरता और जागरूकता ही इसके विरुद्ध सबसे प्रभावी सुरक्षा है।
जब तक उपयोगकर्ता कॉल, ईमेल और लिंक की सत्यता की पुष्टि नहीं करते, तब तक स्पूफिंग की समस्या पूरी तरह खत्म नहीं की जा सकती।